Thursday 8 December 2011

मार्का-ए-कर्बला


Farhat Durrani December 07, 2011


इमाम हुसैन ने समझ लिया कि इस्लाम और सच्चाई को बचाने के लिए उन्हें जान तो देना है मगर इस तरह की दुनिया को स्पष्ट मालूम हो कि हुसैन ने क्यों जान दी ? और उनके दुश्मनों ने उन्हें क्यों मारा ? यानी सत्य और असत्य की जो लड़ाई संसार में सदैव से होती आयी है वह एक नये ढंग से लड़कर दिखाई जाय...

मार्का-ए-कर्बला
यजीद वो नहीं था जिसको मैंने खत्म किया,
यजीद आज भी उन जालिमों में ज़िंदा है.
जो सियासत के बीच मजहबों को लाते हैं,
कि जिनके नाम पे इंसानियत शर्मिन्दा है.

वास्तव में, यजीद , हज़रत इमाम हुसैन का कुछ न बिगाड़ पाया. हज़रत इमाम हुसैन ने ही यजीद को खत्म कर दिया .. आज यजीद के नाम पर अपना नाम रखनेवाला कोई न मिलेगा मगर इमाम हुसैन के नाम वाले लाखों मिल जायेंगें.हज़रत जिब्राइल ने सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रसूलल्लाह को हुसैन के जन्म के बाद ही बता दिया था कि वे शहीद होगे ..

यजीद वो नहीं था जिसको मैंने खत्म किया, यजीद आज भी उन जालिमों में ज़िंदा है. जो सियासत के बीच मजहबों को लाते हैं, कि जिनके नाम पे इंसानियत शर्मिन्दा है. वास्तव में, यजीद , हज़रत इमाम हुसैन का कुछ न बिगाड़ पाया. हज़रत इमाम हुसैन ने ही यजीद को खत्म कर दिया .. आज यजीद के नाम पर अपना नाम रखनेवाला कोई न मिलेगा मगर इमाम हुसैन के नाम वाले लाखों मिल जायेंगें.हज़रत जिब्राइल ने सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रसूलल्लाह को हुसैन के जन्म के बाद ही बता दिया था कि वे शहीद होगे ..



by: Aravind Pandey : परावाणी : शाश्वत कविता :The Eternal Poetry

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