मेरी तस्वीर पढ़ सको गर तुम मेरे रुख़ पे दर्द की लकीरें हैं और आँखों में है कसक पिन्हा आंसुओं की भी चंद तहरीरें हैं ! - फ़रहत दुर्रानी
Thursday 8 December 2011
लिबास है फटा हुआ, ग़ुबार में अटा हुआ ..
Farhat Durrani December 06, 2011
लिबास है फटा हुआ, ग़ुबार में अटा हुआ
तमाम जिस्म ए नाज़नीं छिदा हुआ,कटा हुआ
ये कौन ज़ीवक़ार है बला का शहसवार है
के है हज़ारों कातिलों के सामने डटा हुआ
ये बिल यकीं हुसैन (अ.स) है
नबी (स.अ.व) का नूरे ऐन है
के जिसकी एक ज़र्ब से, कमाले फने हर्ब से
कई शक़ी गिरे हुए तड़प रहे है कर्ब से
ग़ज़ब है तेग़ ए दो-सर, के एक-एक वार पर
उठी सदाए अलअमां ज़बाने शरक़ो गर्ब से
ये बिल यकीं हुसैन (अ.स) है
नबी (स.अ.व) का नूरे ऐन है
ये कौन हक़परस्त है मये रज़ा से मस्त है
के जिसके सामने कोई बलंद है न पस्त है
उधर हज़ार घात है है मगर अजीब बात है
के एक से हज़ारहा का हौसला शिकस्त है
ये बिल यकीं हुसैन (अ.स) है
नबी (स.अ.व) का नूरे ऐन है
अबा भी तार-तार है वो ज़ख्म भी फिगार है
ज़मीं भी है तपी हुयी फलक भी शोलाबार है
मगर ये मर्दे तेग़-ज़न ये सफ-शिकन फलक फिगार
कमाल ए सब्रो तनदेही से महवे कारज़ार है
ये बिल यकीं हुसैन (अ.स) है
नबी (स.अ.व) का नूरे ऐन है
दिलावरी में फर्द है बड़ा ही शेर मर्द है
के जिसके दबदबे से दुश्मनों का रंग ज़र्द है
हबीब ए मुस्तफा है ये, मुजाहिदे ख़ुदा है ये
जभी तो इसके सामने ये फ़ौज गर्द-बर्द है
ये बिल यकीं हुसैन (अ.स) है
नबी (स.अ.व) का नूरे ऐन है
उधर सिपाहे शाम है हज़ार इंतेक़ाम है
उधर हैं दुश्मनाने दीं, इधर फ़क़त इमाम (अ.स) है
मगर अजीब शान है गज़ब की आन-बान है
के जिस तरफ उठी है तेग़, बस ख़ुदा का नाम है
ये बिल यकीं हुसैन (अ.स) है
नबी (स.अ.व) का नूरे ऐन है
--हफीज़ जालंधरी
Image: Shrine of Hazrat Imam Husain (A.S.), Karbala, IRAQ
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